उ0प्र0 पंचायत चुनाव : फरवरी में जारी हो सकती है अधिसूचना
युरेशिया संवाददाता
मेरठ/लखनऊ। यूपी में पंचायत चुनाव की तैयारियों को देखकर संभावना जताई जा रही है कि फरवरी तक अधिसूचना जारी हो सकती है। उत्तर प्रदेश में 58,758 ग्राम पंचायतें, 821 क्षेत्र पंचायतें और 75 जिला पंचायतें हैं, इनका कार्यकाल 25 दिसंबर को खत्म हो रहा है, नियमानुसार इससे पहले चुनाव हो जाने चाहिए थे लेकिन इस बार कोरोना माहामारी के कारण चुनाव में देरी है।
मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंचायती राज विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में पंचायत चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा कि मार्च में चुनाव की तैयारियां करें। ऐसे में अब इस बात की संभावना जताई जा रही है कि फरवरी में अधिसूचना जरूर जारी हो जाएगी। इस समय मतदाता सूची का काम तेजी से चल रहा है। आयोग की तरफ से दिसंबर के अंतिम सप्ताह में इसके प्रकाशन की उम्मीद है। दावा आपत्ति के बाद मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 22 जनवरी को होगा। वही परिसीमन और आरक्षण का काम भी चल रहा है। अकेले वाराणसी की बात करें तो 21 ग्राम पंचायतों को नगर निगम में शामिल किया जा रहा है। देवरिया,गोरखपुर, आजमगढ़, गाजियाबाद आदि जिलों में भी परिसीमन के कारण कई ग्राम पंचायत नगर निगम की सीमा में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में इस बार वहां चुनाव नहीं होंगे। वहीं कई जिलों में मतपत्र भी पहुंच रहे हैं। कानपुर से बैलट बॉक्स भी पहुंचाए जा रहे हैं। हर जिले में पहुंच रहे मत पत्रों को डबल लॉक के बीच में सुरक्षित रखा जा रहा है। जानकारों के मुताबिक आरक्षण सूची फाइनल होते ही अधिसूचना जारी होगी
पंचायतीराज विभाग द्वारा तैयार प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार पंचायतों के पुर्नगठन का काम 22 दिसम्बर से 31 दिसम्बर के बीच चलेगा। इसके बाद एक जनवरी से 20 जनवरी तक परिसीमन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। राज्य स्तर पर पंचायतों के आरक्षण की प्रक्रिया 21 जनवरी से 30 जनवरी के बीच पूरी की जाएगी और फिर जिला स्तर पर आरक्षण एक फरवरी से 21 फरवरी के बीच पूरा किया जाएगा। इस कार्यक्रम के आधार पर पंचायतीराज विभाग ने एक प्रस्तुतीकरण तैयार किया है। यह प्रस्तुतीकरण दिसबंर के पहले सप्ताह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष विभागीय अधिकारियों को प्रस्तुत करना था। विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री आवास पर इस प्रस्तुतीकरण को लेकर गये थे। राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारी भी मौजूद थे। मगर मुख्यमंत्री की अन्य बैठकों में व्यस्तता के चलते यह प्रस्तुतीकरण नहीं हो सका।
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