लॉकडाउन के कारण शुद्ध हुआ वातावरण, निर्मल हुआ गंगा-यमुना का पानी
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यूरेशिया संवाददाता
मेरठ। कोरोना वायरस के कारण भारत में हुए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण जहां लोग पने घरों में कैद हो गए है और कामकाज पूरी तरह से ठप हो गए है। वहीं लॉकडाउन का सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिला। लोगों के घरों में कैद होने से सड़को पर वाहन नहीं दौड़ रहे जिसके चलते प्रदूषण में भारी गिरावट देखी गई। इतना ही नहीं देश में नदियों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सरकार के लाखों करोंड़ों खर्च करने के बावजूद जहां गंगा यमुना और अन्य बाकी नदीयां साफ नहीं हो रही थी..वहीं लॉकडाउन ने मात्र 18 दिनों में ये काम कर दिया।
जैसे-जैसे लोग अपने घरों में कैद होते गए वैसे-वैसे प्रकृति अपने असली स्वरुप में नजर आने लगी। वातावरण की बात करे तो आबोहवा शुद्ध हो गई तो वहीं यमुना-गंगा का पानी भी निर्मल हो गया। नदियों के आस-पास मौजूद लोगों का कहना है कि पहले यमुना का पानी इतना गंदा था कि पीना तो दूर हाथ धोने का भी मन नहीं करता था। लेकिन लॉकडाउन के बाद से पानी खुद-ब-खुद शुद्ध हो गया है। अब इस पानी में आचमन का भी मन करता है।
मेरठ देश के प्रदूषित शहरों की सूची में मेरठ सातवें नंबर पर दर्ज किया गया था। लगातार गिर रही हवा की गुणवत्ता आने वाले दिनों में और भी खराब होने का अंदेशा लगायाजा रहा था। कई जगह कूड़ा जलाने से भी प्रदूषण बढ़ रहा था। लेकिन लॉकडाउन के बाद से स्थिति में नियंत्रण हुआ है। और रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 77 तक दर्द किया गया। जो काफी हद तक सही माना जाता है।
एक्यूआई का मानक
50 तक एक्यूआई सही होता है। 50-100 तक संतोषजनक, 101-200 तक मध्यम, 201-300 तक खराब, 301-400 तक बहुत खराब, 401-500 तक सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है।
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