बागपत में जैन आर्यिका का समाधि मरण, अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
विश्व बंधु शास्त्री
बागपत। उत्तर प्रदेश में बागपत के बड़ौत नगर में जैन साध्वी की अंतिम यात्रा में जैन समाज समेत हजारों लोगों ने भाग लेकर उन्हें अपने अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की।
दिगम्बर जैन समाज बड़ौत के मीडिया प्रभारी आदीश जैन ने आज यहाँ यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नगर के
श्री दिगंबर जैन अतिथि भवन में विराजमान आर्यिका रत्न 105 प्रत्यक्षमति माता जी कासोमवार देर शाम को समाधि मरण हो गया था। मंगलवार को प्रत्यक्षमति माताजी की मृत्यु महामहोत्सव यात्रा अतिथि भवन से प्रारम्भ होकर नेहरू मूर्ति, संजय मूर्ति, भगवान महावीर मार्ग से होती हुई पांडुक शिला मैदान में पहुँची। मृत्यु महामहोत्सव यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालु नम आंखों से णमोकार मन्त्र का पाठ व जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। पांडुक शिला मैदान में विधि विधान पूर्वक माता जी की अंतिम क्रिया संम्पन्न की गई तथा माताजी का अग्नि सँस्कार बाल ब्रह्मचारी पण्डित सुनील शास्त्री व राजेश जैन ने किया। मीडिया प्रभारी आदिश जैन ने बताया कि माताजी का जन्म मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के महरौनी गांव में हुआ था। इनके गृहस्थ जीवन का नाम गजरादेवी था। वर्ष 1999 में राजस्थान के उदयपुर में परम पूज्य आचार्य 108 अभिनंदन सागर जी महाराज से दीक्षा धारण की थी। उन्होंने बताया कि माताजी ने अनेक पुस्तकों का संग्रह किया व ग्रन्थ लिखे। पिछले 11 साल से वे सल्लेखना व्रत धारण किये हुए थी। अंतिम यात्रा के समय जैन मुनि उपाध्याय 108 श्री गुप्तिसगर जी, मुनि श्री वीर सागर जी, मुनि श्री धवल सागर जी, मुनि श्री विशाल सागर जी, प्रवीण जैन, अतुल जैन, विधायक के पी मालिक, चैयरमेन अमित राणा, जिलाध्यक्ष सूरजपाल, संदीप जैन समेत भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे।
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